2008/06/03

हमारी अपनी सुरक्षा प्रणाली औरउसके जुझारू सैनिक-4

हमारी अपनी सुरक्षा प्रणाली औरउसके जुझारू सैनिक-4
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पिछले अंक में आप का परिचय आप की सुरक्षा प्रणाली के न्युट्रोफिल्स, मोनोसाइट्स, एवं नेचुरल किलर सेल्स जैसे उन योद्धाओं से कराया गया था जो नैसर्गिक तंत्र का हिस्सा हैं। ये हमारे जन्म से ही रक्षा-कार्य में संलग्न रहते हैं। न इन्हें किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है और न ही इन्हें किसी हरबा-हथियार से सुसज्जित करने की। ये योद्धा सभी शत्रुओं के साथ समभाव रखते हैं यानि उनमें अंतर नहीं कर पाते। सभी पर समान भाव से आक्रमण करते हैं। मोटे तौर पर कह सकते हैं कि ये ज़रा कम बुद्धि के होते हैं। गनीमत है, बल्कि आप इनका एहसान मानिए कि इनमें कम से कम अपने-पराए का भेद करने की तमीज़ होती है वर्ना दुश्मन तो दुश्मन, आप के शरीर की अपनी कोशिकाओं को भी ये खा-पी कर बराबर कर देते।

इन शूरमाओं के रहते हुए भी आप पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। दुश्मन बड़े ही चालाक होते हैं। बड़ी आसानी से इन शूरमाओं को धता बता देते हैं। ऐसे चालाक दुश्मनों से निपटने के लिए ही प्रकृति ने हमें अर्जित सुरक्षा प्रणाली से लैस कर रखा है। लिंफोसाइट्स इस सुरक्षा प्रणाली के प्रमुख योद्धा हैं। न्युट्रोफिल्स एवं मोनोसाइट्स के समान ये भी एक प्रकार के ल्युकोसाइट्स ही हैं। बस इनके काम करने का तरीका अलग और बुद्धिमत्तापूर्ण होता है। इनमें अपने - पराए की विभेदक क्षमता उच्चकोटि की होती है। न केवल ये आक्रमक जीवाणुओं एवं उनसे श्रावित रसायनों की पहचान आसानी से कर लेते हैं बल्कि उन जीवाणुओं या फिर अन्य बाहरी रसायनिक पदार्थों के अणुओं में भेद कर पाने की क्षमता भी इनमें होती है। साथ ही ये यह भी सुनिश्चित करते हैं कि शरीर की अपनी कोशिकाओं एवं उनसे श्रावित रसायनों पर किसी भी प्रकार की प्रतिरक्षात्मक कार्रवाई न हो और उन्हें किसी प्रकार की हानि न पहुँचे। यही नहीं, एक बार किसी जीवाणु या उनके द्वारा श्रावित रसायन का सामना कर लेने के पश्चात इनमें उन्हें याद रखने एवं भविष्य में दुबारा सामना होने पर तुरंत पहचान लेने की भी क्षमता होती है, साथ ही उनसे किस प्रकार निपटा जाना चाहिए, यह भी इन्हें याद रहता है। यही कारण है कि शरीर में किसी जीवाणु-विशेष का आक्रमण होने पर इस प्रणाली द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई त्वरित एवं प्रभावी होती है।

कैसे होता यह सब? अगले अंक में इसे समझने का प्रयास किया जायेगा .

तब तक, अभी तक के लेखों पर आप की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

धन्यवाद.


2 comments:

Rajesh Roshan said...

ये सारी पोस्ट दरोहर रूप में संजोये जा रही हैं. जब चाहे तब पढ़ ले

Dr.G.D.Pradeep said...

dhnywaad Rajesh ji.
bahut khuushi hui aap ke comments padh kar.